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"संगीत के रहते / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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यह आदमी अपनी पसंद के संगीत में
 
यह आदमी अपनी पसंद के संगीत में

00:13, 29 जून 2008 का अवतरण

यह आदमी अपनी पसंद के संगीत में

रास्ते पर आ जाएगा, देखता हुआ


बाक़ाइदगी से माँ को ख़त लिखेगा, ढिबरी जलाकर

जंगल से


यह आदमी रोएगा नहीं जब जिस्म में ख़ून की बहुत कमी होगी

थकान क़ाइदा बन जाएगी रोज़ का तब यह नहीं थकेगा


अख़ीर में इसको भी अहसास हो जाएगा

कि देखो, हारी हुई लड़ाईयाँ कितने काम आती हैं ।