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"मीठा प्रेम / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर
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वे कल्पना में ही प्रेम करना चाहते हैं
नहीं करना चाहते यथार्थ में
यथार्थ में प्रेम
बहुत तीखा है
और कल्पना का प्रेम ?
मत पूछो कितना मीठा है
कल्पना और यथार्थ को
एक-दूसरे में मिलाकर
सुन्दर जीवन जीना
अभी उन्होंने नहीं सीखा है !