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"लौटा रहा हूँ / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर

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04:27, 17 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

सारी समस्या
तुम्हें चाहने से खड़ी हुई है
मैं अब अपनी चाह को लौटा रहा हूँ।

तुम तक पहुँचने के लिए
बनाई थी मैंने एक राह
अब मैं उस राह को लौटा रहा हूँ ।

मैं जानता हूँ
तुम्हें हो रही होगी
बहुत तकलीफ़
सुनकर वह कराह
अब मैं उस कराह को
अपने सीने में लौटा रहा हूँ ।

पर यह सच है
कि मैं जितना तुमसे दूर जा रहा हूँ
उतना ही क़रीब पा रहा हूँ ।