भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अधूरा प्यार / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विमल कुमार |संग्रह=बेचैनी का सबब / विमल कुमार }} {{KK…)
 
(कोई अंतर नहीं)

05:04, 17 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

कर रहा हूँ
तुमसे अब तक मैं
अधूरा प्यार
नहीं जान पाया हूँ
तुम्हें पूरा

अभी तो मैं
नहीं जान पाया हूँ
ख़ुद को

मरने के ठीक पहले
शायद मैं कह पाऊँगा
तुम्हें कितना जान पाया
कितना तुम्हें कर पाया
प्यार

पर चाहता तो मैं हमेशा था
करना पूरा प्यार
जानना तुम्हें पूरा का पूरा
लेकिन कभी भी किसी को
पूरी तरह नहीं जान सकता

कोई चीज़ नहीं होती पूरी
इसलिए मैं करता रहूँगा
तुमसे मैं हमेशा अधूरा प्यार ।