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"जैसे कोई जाल था / विमल कुमार" के अवतरणों में अंतर

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06:00, 17 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

क्या कहीं नहीं था
वह प्रेम
सिर्फ एक
ख़याल था ?

पता नहीं कैसा था
उसका रंग
हरा था
नीला था
लाल था ?

भाव था वह केवल
या उसका भी
दिक्-काल था
मछुआरों ने फेंका
जीवन की नदी में
जैसे एक जाल था !