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"कृष्ण / मंजुला सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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जिसके मात्र स्मरण से ही हर संताप बिसर जाता है  
 
जिसके मात्र स्मरण से ही हर संताप बिसर जाता है  

19:56, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जिसके मात्र स्मरण से ही हर संताप बिसर जाता है
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !

जिसकी स्वप्न झलक पाते ही
हर आकर्षण बिखर जाता है
जो सबके दुःख का साथी है
सबका पालक, जनक, संहर्ता
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !

साक्षी सबके पाप पुण्य का,
न्यायमूर्ति सृष्टि का भरता,
वह अवतार प्रेम का मधु का,
अनघ, शोक मोह का हरता
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !