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"पिता-4 / नरेश चंद्रकर" के अवतरणों में अंतर
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दुर्लभ हो सकती हैं कई सारी चीज़ें | दुर्लभ हो सकती हैं कई सारी चीज़ें |
00:58, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
दुर्लभ हो सकती हैं कई सारी चीज़ें
किसी दिन के बाद
किसी के न रहने पर
जैसे पिता के ही
चूने और तम्बाखू की गन्ध
धूप में सूखती हुई धोती
रक्तचाप की गोलियों से भरा डिब्बा
पते लिखी हुई पुरानी डायरियाँ
ऎसी अनेक चीज़ें हो सकती हैं दुर्लभ
किसी दिन के बाद!