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"पिता जी ( शब्दांजलि-५) / नवनीत शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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01:03, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
पिता
उसकी जेब में पड़ी कलम
के कारण विनम्र हो गए हैं उसके शब्द
ख़त्म होने को डराते
चावल के पेड़ू ने कर दिया है उसे
सावधान
उदासियों में
बदहवासियों में वह सीख गया है बनना
अपना बाप
अपने आप.