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"पापा / राग तेलंग" के अवतरणों में अंतर

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जब रात में  
 
जब रात में  

01:16, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जब रात में
बिजली चली जाती
तब भूत-प्रेतों का डर
हमारे भीतर के घरों में आ घुसता
ऐसे में आती
पापा की आवाज़
जिसका जवाब देने के पहले
हम ईश्वर का धन्यवाद करते कि
उसने पापा को बनाया
 
जब फ़ैसला लेना मुश्किल होता
दीवार पर ठोंकी जाने वाली
कील की जगह के बारे में
तब पापा उठते और
दूसरे ही पल
लगी दिखती तस्वीर
ऐसे में पापा
कील ठोंकने के लिए ज़रूरी
हथौड़े की तरह लगते
समूचे घर के लिए

बाहर की दुनिया में
पापा साथ होते तो
पर्स में तब्दील हो जाते और
एक ही झटके में
बदल जाते हमारी इच्छाओं के मौसम
इस तरह हम हर बार
अपनी पसंद की चीज़ों के साथ लौटते

सबको ख़ुश रखने में इतने माहिर कि
हम हमेशा भ्रम में रहते
कि हो न हो जादूगर हैं पापा
पापा का मंद-मंद मुस्कराना
जादू के घेरे को और मजबूत बनाता

भीड़ में
पापा का हमारे कंधे पर हाथ रखना
सूरज का
पृथ्वी को पुचकारने जैसा होता

पापा की गोद में जितनी बार हम सोए होंगे
उससे कई गुना ज़्यादा रातों में
पापा को नींद नहीं आती थी
ऐसा एक दिन मम्मी ने बताया ।