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"माँ कहती है / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर
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हम हर रात | हम हर रात |
01:39, 20 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
हम हर रात
पैर धोकर सोते है
करवट होकर।
छाती पर हाथ बाँधकर
चित्त
हम कभी नहीं सोते।
सोने से पहले
माँ
टुइयाँ के तकिये के नीचे
सरौता रख देती है
बिना नागा।
माँ कहती है
डरावने सपने इससे
डर जाते है।
दिन-भर
फिरकनी-सी खटती
माँ
हमारे सपनों के लिए
कितनी चिन्तित है!