"आनन्दमयी माँ / भजन" के अवतरणों में अंतर
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<poem>या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता | | <poem>या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता | | ||
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || || 5\.73|| (durgasaptashati) | नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || || 5\.73|| (durgasaptashati) |
01:46, 20 अप्रैल 2011 का अवतरण
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः || || 5\.73|| (durgasaptashati)
नमस्तेस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे ।
महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनि ॥ .. 16.. (durga kavacha)
बोलो श्री श्री आनन्दमयी माँ की जय |
बोलो वृन्दावन बिहारी लाल की जय ||
आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ ||
आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ ||
जय गुरु माँ । जय गुरु माँ ॥
कृपामयी दयामयी करुणामयी माँ ।
आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ ||
ब्रह्ममयी माँ । आनन्दमयी माँ ॥
बोलो माँ माँ माँ । माँ माँ माँ ।
डाको माँ माँ माँ। माँ माँ माँ ।
भजो माँ माँ माँ । माँ माँ माँ ।
जय गुरु जय गुरु जय गुरु माँ ।
बोलो माँ माँ माँ माँ । माँ माँ माँ माँ ।
हरिप्रिय माँ । भक्ति मयी माँ ॥
हरिप्रिय माँ । भक्ति प्रिय माँ ॥
आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ ||
जय गुरु, जय गुरु, जय गुरु माँ ।
बोलो जय माँ जय माँ । माँ माँ माँ ॥
माँ माँ माँ माँ । माँ माँ माँ माँ ।
बोलो माँ माँ माँ माँ । माँ माँ माँ ।
भजो माँ माँ माँ माँ । माँ माँ माँ ।
डाको माँ माँ माँ माँ । माँ माँ माँ ।
आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ ||
ब्रह्ममयी माँ । प्रेममयी माँ ॥
आनन्दमयी माँ | आनन्दमयी माँ ||
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥ ५ ॥ (सप्तश्लोकी दुर्गा)
ॐ भवताप प्रणाशिन्यै आनन्दघन मूर्तये ।
ज्ञान भक्ति प्रदायिन्यै मातस्तुभ्यं नमो नमः ॥
बोलो श्री श्री आनन्दमयी माँ की जय ।