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"पहले की तरह / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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लाड़ भरे स्वर में कहा ठहर कर | लाड़ भरे स्वर में कहा ठहर कर | ||
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− | सब वैसा का वैसा है. . . | + | सब वैसा का वैसा है... |
− | पहले की तरह. . .'' | + | पहले की तरह...'' |
19:23, 25 जून 2007 का अवतरण
पहुँच अचानक उस ने मेरे घर पर
लाड़ भरे स्वर में कहा ठहर कर
अरे... सब-कुछ पहले जैसा है
सब वैसा का वैसा है...
पहले की तरह...
फिर शांत नज़र से उस ने मुझे घूरा
लेकिन कहीं कुछ रह गया अधूरा
उदास नज़र से मैं ने उसे ताका
फिर उस की आँखों में झाँका
मुस्काई वह, फिर चहकी चिड़िया-सी
हँसी ज़ोर से किसी बहकी गुड़िया-सी
चूमा उस ने मुझे, फिर सिर को दिया खम
बरसों के बाद इस तरह मिले हम
पहले की तरह
(2006 में रचित)