"गणित एक प्रश्न / अष्टभुजा शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अष्टभुजा शुक्ल }} {{KKCatKavita}} <poem> किसी धर्मस्थल के …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:20, 2 मई 2011 के समय का अवतरण
किसी धर्मस्थल के
विवाद में
तीन हज़ार लोग बम से
दो हज़ार गोली से
एक हज़ार चाकू से
और पाँच सौ
जलाकर मार डाले जाते हैं
चार सौ महिलाओं की
इज्ज़त लूटी जाती है
और तीन सौ शिशुओं को
बलि का बकरा बनाया जाता है
धर्म में
सहिष्णुता का
प्रतिशत ज्ञात कीजिए ।
धर्म बहुत ही सहिष्णु है
सहिष्णुता का प्रतिशत है
कभी सौ तो कभी दो सौ
गिनती अनंत तक जाती है
लेकिन सबकी एक सीमा होती है ।
ऐसे में जब मचा हो
नास्तिकता का चार्वाकी उत्पात
करते सर्वशक्तिमान पर आघात
ईश-निंदा की काट तो खोजना होगा
कुछ तो विधि का विधान बनाना होगा
धर्म की सहिष्णुता अनंत
धर्म को समाज चलाना है
खुदा के बंदो को उल्लू बनाना है
और परवरदिगार को भी बचाना है
उसके क़ानून को लगाना है ।
मौत से कम सज़ा वह क्या दे
कोई गर विधि का विधान बदल दे ?
"धरती सूरज के चक्कर करती है"
कोई सिरफिरा ऐसा यदि कह दे !
रसूल-उल-अल्लाह से लोगे पंगा
कैसे रहोगे भला-चंगा ?
बानाओगे अगर उनकी तस्वीर
मौत ही बनेगी तक़दीर
भारत में रहोगे कहोगे नहीं वंदेमातरम्
कौन सहेगा, कितना भी सहिष्णु धर्म ?
कहे नहीं जो जय श्रीराम
धरती पर उसका क्या काम ?
मिटा देंगे रामभक्त उन सबका नाम-ओ-निशान
माँ के गर्भ से भी करेंगे गर राम-द्रोह का ऐलान
कर दिए थे नापाक मुस्लिमों ने कुछ स्थान
मस्ज़िद ओ दरगाह का इस राष्ट्र में क्या काम ?
बजरंगी वीरों ने मन में लिया ठान
मिटा देंगे ऐसे सारे निशान
मिल गया जब मोदी का फरमान
मार दिए उनने काफी मुसलमान
कर दिया था नापाक जिन जगहों को मुसलमानों ने
कर दिया मटियामेट , रामभक्त बजरंगी दीवनो ने
नापाक रही जगह ख़ुद राम के लिए नामाकूल थी
लेकिन हनुमानो के लिए काफ़ी अनुकूल थी
मस्जिद थी जहाँ बैठे वहान गोधडिआ हनुमान
बैठ गए मजार पर हुल्लडिआ हनुमान
और कौन सुपात्र ऐसा भाग्यवान ?
सेवक से बन जाए जो ख़ुद ही भगवान ?
लूटा माल, जलाया मकान
चूर किया औरतों का गरूर ओ' गुमान
न छोड़ी इज़्ज़त बच्ची की न बुढिया की आन
युगदृष्टा के राजधर्म का गुजराती अभियान
धर्म की सहिष्णुता होती अनंत,
लेकिन हर चीज़ की सीमा होती है
प्लेटो और लॉक ने भी यही कहा है,
नास्तिकता की सज़ा मौत होती है ।