भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"निर्मम संसार / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध }} {{KKCatKavita}} <poem> वायु के …)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:39, 3 मई 2011 के समय का अवतरण


वायु के मिस भर भरकर आह ।
ओस मिस बहा नयन जलधार ।
इधर रोती रहती है रात ।
छिन गये मणि मुक्ता का हार ।।१।।

उधर रवि आ पसार कर कांत ।
उषा का करता है शृंगार ।
प्रकृति है कितनी करुणा मूर्ति ।
देख लो कैसा है संसार ।।२।।