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"जितनी स्फीति इयत्ता मेरी झलकाती है / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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23:01, 4 मई 2011 के समय का अवतरण
जितनी स्फीति इयत्ता मेरी झलकाती है
उतना ही मैं प्रेत हूँ ।
जितना रूपाकार-सारमय दिख रहा हूँ
रेत हूँ ।
फोड़-फोड़ कर जितने को तेरी प्रतिभा
मेरे अनजाने, अनपहचाने
अपने ही मनमाने
अंकुर उपजाती है-
बस, उतना मैं खेत हूँ ।