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तुम
जैसे नीले फूलों का एक गुच्छा
जैसे नहरें
दूर तलक जीवन देतीं
पत्तियों संग लुका-छिपी खेलती धूप
बनती-बिगडती लहरों संग
गतिमान नदी की खिलखिलाहट
जंगली गुलाबों की ख़ुशबू में
रची-बसी हवा
मेहनती खुरदुरे हाथों परोसी
नमक-रोटी
एक कुशल रंगरेज
तुम मुझमें
निरन्तर लिखी जा रही कविता हो ।