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"काजल / उषा उपाध्याय" के अवतरणों में अंतर
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14:20, 7 मई 2011 के समय का अवतरण
मैं जन्मी तब
छठी के दिन
नानी ने तांबे की तश्तरी दीये पर रखकर
बडी उमंग से
काजल बना कर
मेरी आँखों में लगाया था ।
अभी पिछले साल ही
मेरी बेटी के घर बेटी जन्मी
तब मैंने भी
छठी के दिन
उमंग के साथ काजल बनाकर
अपनी दौहित्री की
स्वप्नभरी आँखों में लगाया था ।
आज,
इस ढलती साँझ में
आगजनी में जलकर
काले स्याह हो गए
अपने शहर के मकानों को देखकर
मन में आता है
किसकी छठी के लिए
बनाया गया है
इतना सारा काजल ?
मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं कवयित्री द्वारा