भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बिगुल बजाते फूल / रित्सुको कवाबाता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=रित्सुको कवाबाता }} Category:जापानी भाषा <poem> बिगुल…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:44, 15 मई 2011 के समय का अवतरण
|
बिगुल बजाते फूल
एक गमले में
जैसे हो प्रहरी
मेरे द्वार के !
चार बिगुल बजाते फूल
उभरते पत्र्चक्रों से
बड़े , श्वेत
लटक रहे हैं नीचे !
"सुप्रभात "
जैसे बहता है पानी धीरे धीरे
मेरे फब्बारे से !
बिगुल बजाते फूल भर जाते हैं नई स्फूर्ति से
यही ऊर्जा समां जाती है मुझ में
वे लगाते हैं मेला शहनाइयों का
हाँ यह शुरुआत है एक नए दिन की !
अनुवादक: मंजुला सक्सेना