भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सिलवट रहित / रित्सुको कवाबाता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=रित्सुको कवाबाता }} Category:जापानी भाषा <poem> दादी …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:46, 15 मई 2011 के समय का अवतरण
|
दादी माँ के हाथ पर झुर्रियां हैं
ध्यान से देखती हूँ अपना हाथ
"ओह मेरा,इस पर भी हैं झुर्रियां! "
गहरी झुर्रियां
हर जोड़ पर
हो जाती हैं गायब जब करती हूँ बंद हाथ .
"त्वचा सिलवट रहित है "
त्वचा लपटी है मेरे हाथ पर
मात्र एक त्वचा लिपटी है हाथ पर !
जब मैं पलटती हूँ अपना हाथ
मेरी हथेली लगती है सपाट
जोड़ों पर हैं रेखाएं !
हतप्रभ मैं सोचती हूँ
मेरे हाथ की सतह
कोमल है और पतली !
यह एक सार है सिलवट रहित !
अनुवादक: मंजुला सक्सेना