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"जी मेल / सूरज" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरज |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ओ पृथ्वी, तुम्हारी चैट-ल…)
 
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10:03, 16 मई 2011 के समय का अवतरण

ओ पृथ्वी,
तुम्हारी चैट-लिस्ट में था मैं
सुनाम उपग्रह की तरह
तुम्हारी गति से अनजान

चलते हुए एक ही राह
आर-पार गुजरते स्वप्न
जगे-अधजगे साँसो के
बजते ढोल, नींद से बहुत
बाहर चलते हुए साथ टूटे पुल

पर
तब तक साथ जब तक दबा नहीं ‘डिलीट’ का मतलबी बटन।