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23:13, 19 मई 2011 के समय का अवतरण

साथियो,
शुभकामनाओं से पहले
एक सवाल
तमाम कौशल के बाद भी
कब तक होते रहोगे हलाल ?

छोड़ो यह मलाल
कि जो बजाते रहे
सालों भर गाल
उनके हाथ में क्यों है
रेशमी रुमाल ?

हाँ साथियो,
सच्चे मन से जलाओ मशाल
जिसकी रोशनी बयाँ कर सके
तुम्हारा हाल
तभी तुम बन सकोगे मिसाल
देखो, दहलीज पर खड़ा है
उम्मीदों का नया साल ।