भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गाँधी तो हमारा भोला है / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अकबर इलाहाबादी }} {{KKCatGhazal}} <poem> गाँधी तो हमारा भोला ह…) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अकबर इलाहाबादी | |रचनाकार=अकबर इलाहाबादी | ||
− | }} | + | }}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyGandhi}} |
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} | ||
<poem> | <poem> | ||
गाँधी तो हमारा भोला है, और शेख़ ने बदला चोला है | गाँधी तो हमारा भोला है, और शेख़ ने बदला चोला है | ||
देखो तो ख़ुदा क्या करता है, साहब ने भी दफ़्तर खोला है | देखो तो ख़ुदा क्या करता है, साहब ने भी दफ़्तर खोला है | ||
+ | |||
आनर की पहेली बूझी है, हर इक को तअल्ली सूझी है | आनर की पहेली बूझी है, हर इक को तअल्ली सूझी है | ||
जो चोकर था वह सूजी है, जो माशा था वह तोला है | जो चोकर था वह सूजी है, जो माशा था वह तोला है | ||
+ | |||
यारों में रक़म अब कटती है, इस वक़्त हुकूमत बटती है | यारों में रक़म अब कटती है, इस वक़्त हुकूमत बटती है | ||
कम्पू से तो ज़ुल्मत हटती है, बे-नूर मोहल्ला-टोला है | कम्पू से तो ज़ुल्मत हटती है, बे-नूर मोहल्ला-टोला है | ||
</poem> | </poem> |
01:57, 21 मई 2011 के समय का अवतरण
गाँधी तो हमारा भोला है, और शेख़ ने बदला चोला है
देखो तो ख़ुदा क्या करता है, साहब ने भी दफ़्तर खोला है
आनर की पहेली बूझी है, हर इक को तअल्ली सूझी है
जो चोकर था वह सूजी है, जो माशा था वह तोला है
यारों में रक़म अब कटती है, इस वक़्त हुकूमत बटती है
कम्पू से तो ज़ुल्मत हटती है, बे-नूर मोहल्ला-टोला है