भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"एक गली थी / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार रवींद्र |संग्रह=और...हमने सन्धियाँ कीं / क…)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:50, 22 मई 2011 के समय का अवतरण

बात पुरानी
एक गली थी
उसी गली में सब रहते थे

बाम्हन-पासी-कायथ-खत्री
नगरसेठ भी
एक सहन था -
खुले पड़े रहते थे उसमें
सभी 'गेट' भी

छुआछूत थी
सुख-दुख सब मिलकर सहते थे

पिछवाड़े थे मुसलमान
उनकी मस्जिद थी
साथ आरती औ' अज़ान हों
यही हमारी-उनकी ज़िद थी

परनाले भी
दोनों के सँग-सँग बहते थे

कुछ दूरी पर राजमहल था
वहीं चर्च था
वक़्त बुरा था
पर दिल सबका शाहखर्च था

खुले प्यार से
सब अपने शिकवे कहते थे