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"जो पत्थर बोलता / राकेश प्रियदर्शी" के अवतरणों में अंतर
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जो पत्थर बोलता | जो पत्थर बोलता | ||
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तो नहीं गूंजती | तो नहीं गूंजती | ||
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आकाश तक चीखें | आकाश तक चीखें | ||
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नहीं होता कोई पैमाना | नहीं होता कोई पैमाना | ||
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ऊँचाई और गहराई के बीच, | ऊँचाई और गहराई के बीच, | ||
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नहीं जलती अयोध्या | नहीं जलती अयोध्या | ||
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और न टूटती बाबरी मस्जिद | और न टूटती बाबरी मस्जिद | ||
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जो पत्थर बोलता | जो पत्थर बोलता | ||
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तो नहीं मरती संवेदना | तो नहीं मरती संवेदना | ||
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जीवित रहता प्यार | जीवित रहता प्यार | ||
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मौत के बाद भी सदियों तक | मौत के बाद भी सदियों तक | ||
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जो पत्थर बोलता | जो पत्थर बोलता | ||
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तो नहीं होती आत्महत्याएं | तो नहीं होती आत्महत्याएं | ||
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आर्थिक बदहाली व भूख के कारण | आर्थिक बदहाली व भूख के कारण | ||
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जो पत्थर बोलता | जो पत्थर बोलता | ||
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तो नहीं बढ़ता आतंकवाद, | तो नहीं बढ़ता आतंकवाद, | ||
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नहीं जलती सारी दुनिया | नहीं जलती सारी दुनिया | ||
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धू-धू कर नुफरत की आग में | धू-धू कर नुफरत की आग में | ||
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जो पत्थर बोलता | जो पत्थर बोलता | ||
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तो हमारा और तुम्हारा | तो हमारा और तुम्हारा | ||
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अलग-अलग नहीं होता धर्म</poem> | अलग-अलग नहीं होता धर्म</poem> |
20:10, 24 मई 2011 के समय का अवतरण
जो पत्थर बोलता
तो नहीं गूंजती
आकाश तक चीखें
नहीं होता कोई पैमाना
ऊँचाई और गहराई के बीच,
नहीं जलती अयोध्या
और न टूटती बाबरी मस्जिद
जो पत्थर बोलता
तो नहीं मरती संवेदना
जीवित रहता प्यार
मौत के बाद भी सदियों तक
जो पत्थर बोलता
तो नहीं होती आत्महत्याएं
आर्थिक बदहाली व भूख के कारण
जो पत्थर बोलता
तो नहीं बढ़ता आतंकवाद,
नहीं जलती सारी दुनिया
धू-धू कर नुफरत की आग में
जो पत्थर बोलता
तो हमारा और तुम्हारा
अलग-अलग नहीं होता धर्म