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"सोचता हूँ / त्रिपुरारि कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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जाने कितने कमरों में भरा हुआ है | जाने कितने कमरों में भरा हुआ है | ||
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मेरे होने का एहसास | मेरे होने का एहसास | ||
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जाने कितने बिस्तरों को मालूम है | जाने कितने बिस्तरों को मालूम है | ||
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मेरी देह की गंध | मेरी देह की गंध | ||
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जाने कितनी हथेलियों में मौजूद है | जाने कितनी हथेलियों में मौजूद है | ||
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मेरी साँस की लपटें | मेरी साँस की लपटें | ||
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जाने कितनी अंगुलियों में पोशीदा है | जाने कितनी अंगुलियों में पोशीदा है | ||
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मेरे स्पर्श का रंग | मेरे स्पर्श का रंग | ||
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जाने कितनी आँखों में ज़िंदा है | जाने कितनी आँखों में ज़िंदा है | ||
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मेरे चेहरे की चुभन | मेरे चेहरे की चुभन | ||
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जाने कितनी रातों में क़ैद है | जाने कितनी रातों में क़ैद है | ||
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मेरी अधूरी करवट | मेरी अधूरी करवट | ||
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जाने कितने अक्षरों में फैला है | जाने कितने अक्षरों में फैला है | ||
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मेरा निज़ी एकांत | मेरा निज़ी एकांत | ||
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जाने कितने पन्नों पर पसरी है | जाने कितने पन्नों पर पसरी है | ||
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मेरी लिखी कविता | मेरी लिखी कविता | ||
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सोचता हूँ कितना बिखर गया हूँ मैं | सोचता हूँ कितना बिखर गया हूँ मैं | ||
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सोचता हूँ कितना सिमट गया हूँ मैं | सोचता हूँ कितना सिमट गया हूँ मैं | ||
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01:19, 25 मई 2011 के समय का अवतरण
जाने कितने कमरों में भरा हुआ है
मेरे होने का एहसास
जाने कितने बिस्तरों को मालूम है
मेरी देह की गंध
जाने कितनी हथेलियों में मौजूद है
मेरी साँस की लपटें
जाने कितनी अंगुलियों में पोशीदा है
मेरे स्पर्श का रंग
जाने कितनी आँखों में ज़िंदा है
मेरे चेहरे की चुभन
जाने कितनी रातों में क़ैद है
मेरी अधूरी करवट
जाने कितने अक्षरों में फैला है
मेरा निज़ी एकांत
जाने कितने पन्नों पर पसरी है
मेरी लिखी कविता
सोचता हूँ कितना बिखर गया हूँ मैं
सोचता हूँ कितना सिमट गया हूँ मैं