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"और टूटी बाँसुरी होना / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर

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वनैले जंतुओं की   
 
वनैले जंतुओं की   
  
ऐसा ही रहा है  
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हो रहा है  
 
हर तरफ माहौल भय का
 
हर तरफ माहौल भय का
 
                       यही सच है  
 
                       यही सच है  
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वह चुक चुकी है  
 
वह चुक चुकी है  
 
महासमरों की पुरानी अनी   
 
महासमरों की पुरानी अनी   
पाँवों में भूँकी है  
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पाँवों में भुँकी है  
  
 
प्रश्न भी  
 
प्रश्न भी  

22:33, 25 मई 2011 के समय का अवतरण

और...
टूटी बाँसुरी होना समय का
                        यही सच है


नदी बहकर आ रही है
गए-युग से
आँसुओं की
आहटें भी पास हैं बिल्कुल
वनैले जंतुओं की

हो रहा है
हर तरफ माहौल भय का
                       यही सच है

जो अलौकिकता रही थी
आँख में
वह चुक चुकी है
महासमरों की पुरानी अनी
पाँवों में भुँकी है

प्रश्न भी
धुँधला गया है जय-अजय का
                        यही सच है

रास होना
एक पल का था करिश्मा
हुआ ओझल
बाँसुरी भी क्या करेगी
वक़्त ही हो रहा पाग़ल

वक़्त को भी
चाहिए मौसम प्रलय का
                      यही सच है