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"चुप का पहाड़ / प्रतिभा कटियार" के अवतरणों में अंतर
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पार किए
विन्ध्य से लेकर हिमालय तक
न जाने कितने पहाड़,
पार की गंगा से वोल्गा
और टेम्स तक
न जाने कितनी नदियाँ ।
बड़ी आसानी से
पार हो गए सारे बीहड़ जंगल,
मिले न जाने कितने मरुस्थल भी
राह में
लेकिन कर लिए पार वे भी
प्यार से...
बस एक चुप ही
नहीं हो पा रही है पार...