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'''पुष्पवाटिकामें'''
 
  
'''राग टोड़ी'''
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जबतें लै मुनि सङ्ग सिधाए |
भोर फूल बीनबेको गये फुलवाई हैं |
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राम लखनके समाचार, सखि  तबतें कछुअ पाए ||
सीसनि टिपारे, उपबीत, पीत पट कटि,
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दोना बाम करनि सलोने भे सवाई हैं ||
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रुपके अगार, भूपके कुमार, सुकुमार,
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गुरके प्रानाधार सङ्ग सेवकाई हैं |
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नीच ज्यों टहल करैं, राखैं रुख अनुसरैं,
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कौसिक-से कोही बस किये दुहुँ भाई हैं ||
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सखिनसहित तेहि औसर बिधिके सँजोग
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गिरिजाजू पूजिबेको जानकीजू आई हैं |
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निरखि लषन-राम जाने ऋतुपति-काम,
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मोहि मानो मदन मोहनी मूड़ नाई हैं ||
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राघौजू-श्रीजानकी-लोचन मिलिबेको मोद
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कहिबेको जोगु , मैं बातैं-सी बनाई हैं |
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स्वामी, सीय, सखिन्ह, लषन तुलसीको तैसो
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तैसो मन भयो जाकी जैसिये सगाई हैं ||
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बिनु पानही गमन, फल भोजन, भूमि सयन तरुछाहीं |
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सर-सरिता जलपान, सिसुनके सँग सुसेवक नाहीं ||
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कौसिक परम कृपालु परमहित, समरथ, सुखद, सुचाली |
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बालक सुठि सुकुमार सकोची, समुझि सोच मोहि आली ||
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बचन सप्रेम सुमित्राके सुनि सब सनेह-बस रानी |
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तुलसी आइ भरत तेहि औसर कही सुमङ्गल बानी ||
  
 
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16:34, 29 मई 2011 के समय का अवतरण

(101)

जबतें लै मुनि सङ्ग सिधाए |
राम लखनके समाचार, सखि तबतें कछुअ न पाए ||

बिनु पानही गमन, फल भोजन, भूमि सयन तरुछाहीं |
सर-सरिता जलपान, सिसुनके सँग सुसेवक नाहीं ||

कौसिक परम कृपालु परमहित, समरथ, सुखद, सुचाली |
बालक सुठि सुकुमार सकोची, समुझि सोच मोहि आली ||

बचन सप्रेम सुमित्राके सुनि सब सनेह-बस रानी |
तुलसी आइ भरत तेहि औसर कही सुमङ्गल बानी ||