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"तुम / अशोक कुमार शुक्ला" के अवतरणों में अंतर

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10:05, 1 जून 2011 का अवतरण

क्या
मालूम है तुम्हें
हवा कहाँ रहती है ?
शायद हर जगह
 
लेकिन दिखती नहीं
बस दस्तक देती है दरवाज़े पर
कभी हौले से
और कभी आँधी बनकर
 
दिखती नहीं
बस उसका अहसास होता है
जैसे अभी छूकर निकल गई हौले से
ख़ुशबूदार झोंके की तरह
या पेड़ की पत्तियों को सरसराकर
कोई इशारा दे गई जैसे
 
ठीक ऐसी ही हो तुम !
दिखती भी नहीं,
और पास से हटती भी नहीं ।