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"माहिये / 'ज़िया' ज़मीर" के अवतरणों में अंतर

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23:23, 3 जून 2011 के समय का अवतरण

1.
ऐसी तन्हाई है
जब से गए हो तुम
जाँ पर बन आई है

2.
उसके बदन की ख़ुशबू
क्या बतलाऊँ मैं
क्या करती है जादू

3.
आँगन में पीपल है
जिस पर चिड़ियों का
रहता कोलाहल है

4.
माँ ने लोरी गाई
पल में रात हुई
निंदिया रानी आई

5.
आँसू जैसा बहना
कितना मुश्किल है
उन आँखों में रहना