गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बदरीनाथ के पथ पर / गुलाब खंडेलवाल
10 bytes removed
,
19:03, 15 जून 2011
हर ओर प्रपातों ही प्रपातों का प्रकाश
धरती पे गिरे टूट के जैसे आकाश
शंकर की जटाओं से
कधी टूट के जैसे
कढ़ी ज्यों
गंगा
रावण की भुजाओं ने उठाया आकाश
Vibhajhalani
2,913
edits