भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ हाइकु / माधवी शर्मा गुलेरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माधवी शर्मा गुलेरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> 1. सिमट गई …)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:55, 22 जून 2011 के समय का अवतरण

1.

सिमट गई
बर्फ़ की रजाई में
शरद ऋतु

2.

चला कोहरा
जाने किस दिशा में
लिए मन को

3.

पहन लिया
चिनार ने भी चोला
बसंत में

4.

माँ का पहलू
जाड़े की धूप जैसा
नर्म-ओ-गर्म

5.

ठिठका हुआ
बादल उड़ गया
बरस कर

6.

चलता रहे
दरिया की तरह
जीवन चक्र