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"कुछ हाइकु / माधवी शर्मा गुलेरी" के अवतरणों में अंतर
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1.
सिमट गई
बर्फ़ की रजाई में
शरद ऋतु
2.
चला कोहरा
जाने किस दिशा में
लिए मन को
3.
पहन लिया
चिनार ने भी चोला
बसंत में
4.
माँ का पहलू
जाड़े की धूप जैसा
नर्म-ओ-गर्म
5.
ठिठका हुआ
बादल उड़ गया
बरस कर
6.
चलता रहे
दरिया की तरह
जीवन चक्र