भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बँटवारा / रश्मि रमानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रश्मि रमानी }} {{KKCatKavita‎}} <poem> नक़्शानवीस ने उठाई क़ल…)
(कोई अंतर नहीं)

20:32, 25 जून 2011 का अवतरण

नक़्शानवीस ने उठाई क़लम
ज़मीन के नक़्शे के बीच खींची रेखा
और कहा-
'ये हिन्दुस्तान, ये पाकिस्तान'
मज़दूर ले आए काँटेदार तार
सरहद पर खड़ी की बागड़
ये तेरा आँगन, ये मेरा घर
घड़ी भर में ही साथ-साथ रहने वाले
हो गए सीमापार।
ऊँघ रहे सैनिकों ने सँभाल ली बन्दूकें
जब-जब उनके आक़ा हो जाते थे
ऊबे और अनमने
जैसे ही लगता था उन्हें
कि भूल रहे हैं लोग इतिहास
वे चीख़ते थे-- 'फ़ायर'
और बदहवास सैनिक चलाते थे गोलियाँ बेशुमार
बिना यह देखे कि-
कहाँ है निशाना और कौन बेगुनाह मारा गया है
अफ़रा-तफ़री के इस आलम में ?

कुछ दिनों के बाद