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"अब क्यों भला किसीको हमारी तलाश हो! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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क्या कीजिये जो दिल को तड़पने की प्यास हो! | क्या कीजिये जो दिल को तड़पने की प्यास हो! | ||
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शायद कभी उसे भी तुम्हारी तलाश हो! | शायद कभी उसे भी तुम्हारी तलाश हो! | ||
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00:08, 1 जुलाई 2011 का अवतरण
अब क्यों भला किसीको हमारी तलाश हो!
गागर के लिए क्यों कोई पनघट उदास हो!
कहते हैं जिसको प्यार है मजबूरियों का नाम
क्यों हो नज़र से दूर अगर दिल के पास हो!
क्योंकर रहे बहार के जाने का ग़म हमें
कोयल की हर तड़प में अगर यह मिठास हो!
वादों को उनके खूब समझते हैं हम, मगर
क्या कीजिये जो दिल को तड़पने की प्यास हो!
भाती नहीं है प्यार की ख़ुशबू जिसे, गुलाब!
शायद कभी उसे भी तुम्हारी तलाश हो!