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"जुही में फूल जब आये, हमें भी याद कर लेना / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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कभी आँखों ही आँखों बात कुछ हमसे भी होती थी
 
कभी आँखों ही आँखों बात कुछ हमसे भी होती थी

01:07, 1 जुलाई 2011 का अवतरण


जुही में फूल जब आये, हमें भी याद कर लेना
नज़र जब ख़ुद से शरमाये, हमें भी याद कर लेना

मुसाफिर राह में यों तो हज़ारों साथ चलते हैं
कोई जब दिल को छू जाए, हमें भी याद कर लेना

न होता दिल हमारा तो निशाना तुम किसे करते!
हमींने तीर चलवाए, हमें भी याद कर लेना

कभी आँखों ही आँखों बात कुछ हमसे भी होती थी
कभी हम भी तुम्हें भाये, हमें भी याद कर लेना

तुम्हारे प्यार की धुन में खिला तो सौ गुलाब आये
भले ही हम न खिल पाए, हमें भी याद कर लेना