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"नज़र भले ही हमें देख के शरमा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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नज़र भले ही हमें देख के शरमा ही गयी
 
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क़सूर कुछ तेरे हाथों का भी तो है ,फनकार!
 
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पहुँच के नाव किनारे पे डगमगा ही गयी
 
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हमारे दिल की तबाही भी रंग ला ही गयी
 
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01:31, 1 जुलाई 2011 का अवतरण


नज़र भले ही हमें देख के शरमा ही गयी
झलक तो प्यार की पलकों से छनके आ ही गयी

क़सूर कुछ तेरे हाथों का भी तो है ,फनकार!
करें भी क्या जो ये तस्वीर दिल को भा ही गयी!

चले जो हम तो चली साथ-साथ क़िस्मत भी
हरेक मुकाम पे पहले ये बेवफ़ा ही गयी

सँभाली होश की पतवार बहुत हमने, मगर
पहुँच के नाव किनारे पे डगमगा ही गयी

गली में उनकी हज़ारों महक उठे हैं गुलाब
हमारे दिल की तबाही भी रंग ला ही गयी