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"सौ ऐब हैं मुझमें, न कोई इल्मो-हुनर है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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सौ ऐब हैं मुझमें न कोई इल्मोहुनर है | सौ ऐब हैं मुझमें न कोई इल्मोहुनर है | ||
− | ज़र्रे को | + | ज़र्रे को आफ़ताब किया, तेरी नज़र है |
− | हरदम | + | हरदम चिराग़-दर-चिराग़ जोड़ते चलो |
यह रात है ऐसी कि नहीं जिसका सहर है | यह रात है ऐसी कि नहीं जिसका सहर है | ||
कुछ तो सता रहा है ज़माने का ग़म हमें | कुछ तो सता रहा है ज़माने का ग़म हमें | ||
− | कुछ आपकी | + | कुछ आपकी ख़ामोश निगाहों का असर है |
फूलों से हार गूँथ के लाना है और बात | फूलों से हार गूँथ के लाना है और बात |
02:27, 1 जुलाई 2011 का अवतरण
सौ ऐब हैं मुझमें न कोई इल्मोहुनर है
ज़र्रे को आफ़ताब किया, तेरी नज़र है
हरदम चिराग़-दर-चिराग़ जोड़ते चलो
यह रात है ऐसी कि नहीं जिसका सहर है
कुछ तो सता रहा है ज़माने का ग़म हमें
कुछ आपकी ख़ामोश निगाहों का असर है
फूलों से हार गूँथ के लाना है और बात
काँटों से ज़िन्दगी को सजाने में हुनर है
कुछ बुलबुलों ने लूट लिया, कुछ बहार ने
बाकी जो है गुलाब वो दुनिया की नज़र है