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"प्यार यों तो सभी से मिलता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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प्यार भी बेरुख़ी से मिलता है
 
प्यार भी बेरुख़ी से मिलता है
  
क्या हुआ मिल लिए अगर हम तुम!
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क्या हुआ मिल लिए अगर हम-तुम!
 
आदमी, आदमी से मिलता है!
 
आदमी, आदमी से मिलता है!
  

02:15, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


प्यार यों तो सभी से मिलता है
दिल नहीं हर किसीसे मिलता है

हम सुरों में सजा रहे हैं उसे
दर्द जो ज़िन्दगी से मिलता है

यों तो नज़रें चुरा रहा है कोई
प्यार भी बेरुख़ी से मिलता है

क्या हुआ मिल लिए अगर हम-तुम!
आदमी, आदमी से मिलता है!

हों पँखुरियाँ गुलाब की ही मगर
रंग उनकी गली से मिलता है