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"सही है, ठीक है, हमने ये गम सहे ही नहीं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
 
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सही है, ठीक है, हमने ये गम सहे ही नहीं
 
कहें भी क्या कि जो कहने को कुछ रहे ही नहीं
 
 
मिले तो यों कि कोई दूसरा सहा न गया
 
गये तो ऐसे कि जैसे कभी रहे ही नहीं
 
 
हज़ार दर्द हों दिल में सुनेगा कौन! गुलाब!
 
तुम्हारी आँख से आँसू अगर बहे ही नहीं
 
 
<poem>
 

21:44, 2 जुलाई 2011 के समय का अवतरण