भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बच्चे-1 / अच्युतानंद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अच्युतानंद मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> बच्चे जो क…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:22, 4 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
बच्चे जो की चोर नहीं थे
चोरी करते हुए पकड़े गए
चोरी करना बुरी बात है
इस एहसास से वे महरूम थे
दरअसल अभी वे इतने
मासूम और पवित्र थें
की भूखे रहने का
हुनर नहीं सीख पाए थे