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"एक अनबुझी सी चाह मेरे साथ रही है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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जाने ये कैसी राह मेरे साथ रही है! | जाने ये कैसी राह मेरे साथ रही है! | ||
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ग़म की घटा सियाह मेरे साथ रही है | ग़म की घटा सियाह मेरे साथ रही है | ||
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यों तो हरेक अदा में तेरी हैं खिले गुलाब | यों तो हरेक अदा में तेरी हैं खिले गुलाब | ||
एक बेबसी की आह मेरे साथ रही है | एक बेबसी की आह मेरे साथ रही है | ||
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00:23, 9 जुलाई 2011 का अवतरण
एक अनबुझी सी चाह मेरे साथ रही है
हरदम तेरी निगाह मेरे साथ रही है
मंज़िल हज़ार बार बगल से निकल गयी
जाने ये कैसी राह मेरे साथ रही है!
बिजली कभी-कभी जो चमक ही गयी तो क्या!
ग़म की घटा सियाह मेरे साथ रही है
डरते जो आँधियों से वे माँझी थे और ही
लिपटी किसी की बाँह मेरे साथ रही है
यों तो हरेक अदा में तेरी हैं खिले गुलाब
एक बेबसी की आह मेरे साथ रही है