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"ग़म बहुत, दर्द बहुत, टीस बहुत, आह बहुत / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हैं मगर आपकी ख़ुशियों से हम तबाह बहुत
 
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चाह है तो मिलेगी बंदगी की राह बहुत
 
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यों तो उस दिल में बसी आपकी सूरत ही, गुलाब!
 
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है मगर और भी फूलों से रस्मो-राह बहुत  
 
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01:57, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


ग़म बहुत, दर्द बहुत, टीस बहुत, आह बहुत
फिर भी दिल को है उसी बेरहम की चाह बहुत

हमने माना कि ख़ुशी आपको होती इसमें
हैं मगर आपकी ख़ुशियों से हम तबाह बहुत

क्या हुआ अब जो इधर रुख़ नहीं करता है कोई
चाह है तो मिलेगी बंदगी की राह बहुत

हाय! उस दूध की धोई नज़र का भोलापन!
सैकड़ों खून भी करके है बेगुनाह बहुत

यों तो उस दिल में बसी आपकी सूरत ही, गुलाब!
है मगर और भी फूलों से रस्मो-राह बहुत