भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नित डुले चँवरवा / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार रवींद्र |संग्रह=आहत हैं वन / कुमार रवींद्…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:03, 11 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
सारे दिन शुभ-असीस
पूनो या परवा
चार खूँट रोज़ बँटे
धूप का पुजापा
माँग-भरे साँझ-ढले
दूधिया बुढ़ापा
चार जुग सुहागिल है
अम्मा का करवा
तुलसी पर दिया सजे
मन्दिर में देवा
गौरा के आँगन में
सिद्ध करें सेवा
चौखट पर चौक पुरे
हैं सुखी सगरवा
अक्षत है ड्योढ़ी
हैं नाज-भरे कोठे
पोढ़ा घर-बार
सिंचे नेह से बरोठे
पुरखों के माथे पर
नित डुले चँवरवा