भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क़िस्सा है मशहूर / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार रवींद्र |संग्रह=आहत हैं वन / कुमार रवींद्…)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:38, 11 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

आँगन बँटा
हुए आपस के रिश्ते-नाते दूर
          जितने भाई उतने चूल्हे
                 इस घर का दस्तूर
 
चौपालों में पले मुक़दमें
पुरखे हैं हैरान
घर-घर को
बीमार हवा ने
किया अज़ब वीरान
 
अपनी चौखट पकड़े बैठे सब घमंड में चूर
 
फेर आ गया सबके मन में
धूप हुई चालाक
घुमा-फिरा के पकड़ रहे सब
अपनी-अपनी नाक
 
बाँच रहे अंधों की पोथी - सूरज हैं मज़बूर
 
दिन की आँखों में अँधियारे
रातें हैं उजियार
कौन भला देखे सूनापन
दीवारों के पार
 
बहुत पुराना वैसे है घर - क़िस्सा है मशहूर