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"नए हालात अक्सर आज़माते हैं / अशोक आलोक" के अवतरणों में अंतर
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नए हालात अक्सर आज़माते हैं | नए हालात अक्सर आज़माते हैं |
13:07, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
नए हालात अक्सर आज़माते हैं
पुराने वक्त के तेवर दिखाते हैं ।
बिखरते टूटते हर आशियाने में
न जाने लोग कैसे मुस्कुराते हैं।
ज़मीं से आसमां तक मौत के बादल
नज़र के सामने हलचल मचाते हैं।
शिकायत का यही अंजाम होता है
उमर भर दर्द के रिश्ते निभाते हैं।
गुज़रते वक्त के हर खुशनुमां हिस्से
सदा तन्हाइयों में याद आते हैं।