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विश्वास / सुरेश यादव

39 bytes removed, 15:15, 19 जुलाई 2011
मरी तितलियों का रंग उतरता है
बहुत बार
घायल मोर का पंख
तुम्हारी कविता में रंग भरता है
ऊंचे आकाश में