"पावस-प्रिया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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दूबों से पूरित मेरे आँगन में पहरों से आकर. | दूबों से पूरित मेरे आँगन में पहरों से आकर. | ||
सजनी! आज चतुर्दिक से रजनी है घिरी अमावस की, | सजनी! आज चतुर्दिक से रजनी है घिरी अमावस की, | ||
− | कभी गरजते घन, विद्युत से कभी चमक | + | कभी गरजते घन, विद्युत से कभी चमक उठता अम्बर. |
इतनी दूर हुई तुम मुझसे जितनी दूर कल्पना से | इतनी दूर हुई तुम मुझसे जितनी दूर कल्पना से | ||
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दूर देश से, मेघों-सी ही झंझानिल गति से चलकर? | दूर देश से, मेघों-सी ही झंझानिल गति से चलकर? | ||
− | नील तिमिरमय | + | नील तिमिरमय वसन तुम्हारा, बूँदें चल नूपुर मणियाँ, |
सुनता मैं रिमझिम आँगन में, प्रिये! तुम्हारी पग-ध्वनियाँ | सुनता मैं रिमझिम आँगन में, प्रिये! तुम्हारी पग-ध्वनियाँ | ||
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03:06, 22 जुलाई 2011 का अवतरण
रिमझिम रिमझिम बरस रही हैं घनी घटायें पावस की
दूबों से पूरित मेरे आँगन में पहरों से आकर.
सजनी! आज चतुर्दिक से रजनी है घिरी अमावस की,
कभी गरजते घन, विद्युत से कभी चमक उठता अम्बर.
इतनी दूर हुई तुम मुझसे जितनी दूर कल्पना से
वस्तु सत्य, मैं कैसे मन को बहलाऊँ इन घड़ियों में
काली रजनी की, जब प्रतिभापूर्ण काव्य की रचना-से
तड़ित-चकित घन बरस रहे हैं शत-शत मुक्ता-लड़ियों में.
इस अँधियारी रजनी में, अंचल में विद्युत-दीप सँवार
प्रेयसि! क्या आयी हो तुम श्यामाभिसारिका-सी पल भर
मेरे इस एकांत कक्ष में, कान्त कामना-सी सुकुमार
दूर देश से, मेघों-सी ही झंझानिल गति से चलकर?
नील तिमिरमय वसन तुम्हारा, बूँदें चल नूपुर मणियाँ,
सुनता मैं रिमझिम आँगन में, प्रिये! तुम्हारी पग-ध्वनियाँ