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"'देखना था यह दिन भी आगे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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'वह दुख भी भूली थी मन से | 'वह दुख भी भूली थी मन से | ||
फिर यह बिजली गिरी गगन से | फिर यह बिजली गिरी गगन से | ||
− | पाप कहाँ के जागे! | + | पाप कहाँ के जागे! |
'क्या-क्या नहीं विपत्ति उठायी! | 'क्या-क्या नहीं विपत्ति उठायी! | ||
सीता ज्यों-त्यों घर थी आयी | सीता ज्यों-त्यों घर थी आयी | ||
पर अब स्वामी से ठुकरायी | पर अब स्वामी से ठुकरायी | ||
− | शरण कहाँ वह माँगे! | + | शरण कहाँ वह माँगे! |
'चौदह वर्ष कटे पल गिन-गिन | 'चौदह वर्ष कटे पल गिन-गिन | ||
कैसे मैं काटूँगी ये दिन! | कैसे मैं काटूँगी ये दिन! | ||
अभी शेष था साँसों का ऋण | अभी शेष था साँसों का ऋण | ||
− | अटके प्राण अभागे!' | + | अटके प्राण अभागे!' |
'देखना था यह दिन भी आगे | 'देखना था यह दिन भी आगे | ||
क्या कम था वनवास वही जब प्राण नृपति ने त्यागे!' | क्या कम था वनवास वही जब प्राण नृपति ने त्यागे!' | ||
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04:06, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
'देखना था यह दिन भी आगे
क्या कम था वनवास वही जब प्राण नृपति ने त्यागे!'
बोली कौसल्या लक्ष्मण से
'वह दुख भी भूली थी मन से
फिर यह बिजली गिरी गगन से
पाप कहाँ के जागे!
'क्या-क्या नहीं विपत्ति उठायी!
सीता ज्यों-त्यों घर थी आयी
पर अब स्वामी से ठुकरायी
शरण कहाँ वह माँगे!
'चौदह वर्ष कटे पल गिन-गिन
कैसे मैं काटूँगी ये दिन!
अभी शेष था साँसों का ऋण
अटके प्राण अभागे!'
'देखना था यह दिन भी आगे
क्या कम था वनवास वही जब प्राण नृपति ने त्यागे!'