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"अपनी बेताबी से उनको बेख़बर समझे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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आपकी आँखों का इनको खेल भर समझे हैं हम  
 
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आज कुछ बदली हुई है वह नज़र, समझे हैं हम
 
आज कुछ बदली हुई है वह नज़र, समझे हैं हम
  

01:46, 23 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


अपनी बेताबी से उनको बेख़बर समझे हैं हम
फिर भी कुछ है प्यार का उनपर असर, समझे हैं हम

ये तड़पती चितवनें, ये धड़कनें दिल की उदास
कोई समझे या नहीं समझे, मगर समझे हैं हम

दो घड़ी रोना-कलपना, दो घड़ी मस्ती के रंग
आपकी आँखों का इनको खेल भर समझे हैं हम

देखकर भी हमको होँठों पर हँसी आयी नहीं
आज कुछ बदली हुई है वह नज़र, समझे हैं हम

तोड़ ले जाएगा कोई तुझको दम भर में गुलाब!
प्यार के ये रंग होंगे बेअसर, समझे हैं हम