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"पिता की याद / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर
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00:59, 27 फ़रवरी 2008 का अवतरण
फिर पुराने नीम के नीचे खडा हूँ
फिर पिता की याद आई है मुझे
नीम सी यादें ह्रदय में चुप समेटे
चारपाई डाल आँगन बीच लेटे
सोचते हैं हित सदा उनके घरों का
दूर है जो एक बेटी चार बेटे
फिर कोई रख हाथ काँधे पर
कहीं यह पूछता है-
"क्यूँ अकेला हूँ भरी इस भीड मे"
मै रो पडा हूँ
फिर पिता की याद आई है मुझे
फिर पुराने नीम के नीचे खडा हूँ